Thursday, April 8, 2010

सूफी संत अहमद अली शाह की दरगाह


उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ, से कस्बा नगराम ३८ किलोमीटर दूर रायबरेली रोड पर स्थित है। नगराम स्थित दरगाह, बस स्टाप से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सूफी संत अहमद अली शाह की जन्मस्थली नगराम है, उनका जन्म वर्ष १५ वी सदी में हुआ था।
'जो रब वही राम' का संदेश देने वाले सूफी संत ने सभी लोगों को प्रेम से रहने का संदेश दिया था. उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके हिन्दू और मुस्लिमों शिष्यों ने मिलकर उनकी याद में यह स्थान बनवाया था
'नस्ल और मजहब की सरहदों से ऊपर उठने की बात के साथ ही, वह हिन्दुस्तान में, इस्लाम को जनता तक ले गये। हिन्दुस्तान में अधिकतर परिवर्तन इन्हीं सूफियों के प्रयास से शुरू हुआ था।
सूफी संत अहमद अली शाह के मुरीद बताते है, कि खुद हाजी वारिस अली शाह नगराम स्थित बाबा की दरगाह पर हाजिरी लगाने के लिये आते थे।
हाजी वारिस अली शाह ने नस्ल और मजहब की सरहदों से ऊपर उठने की बात के साथ ही 'जो रब वही राम' का संदेशा लाखों लोगो के दिलों तक पहुंचाया, और आज एक शताब्दी से अधिक की अवधि बीत जाने के बाद भी वारिस अली शाह लोगों के दिलोदिमाग में राज करते है।
आज भी बाबा अहमद अली शाह के मुरीद और दूर-दूर से आने वाले लोग हाजिरी लागाने के लिए नगराम कस्बे तक पहुंचते है। गैर प्रांतों से आने वालो की संख्या अधिक होती है। देश के विभिन्न भागों से लोग मंनत मांगने सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके बाबा अहमद अली शाह की दरगाह मे नगराम, लखनऊ पहुंचते हैं। दरगाह में आने वालों में आधा हिस्सा गैर मुस्लिमों का होता है। उनकी दरगाह पर बहुत सी रस्में देखने को मिलती हैं जैसे मजार पर हाजिरी, नजराना, मन्नत मांगना, चिराग जलाना, प्रसाद वितरण और परिक्रमा यह सब यहां होता है। उनका समाधि स्थल (दरगाह) प्रेम व एकता का संदेश देने के साथ-साथ मानवीय परेशानियों से मुक्ति का केंद्र बना हुआ है। यहाँ से आज भी हजारों अनुयायी उपस्थित होकर लाभान्वित हो रहे हैं। जो भी वहाँ जाता है, उसे बिना किसी भेदभाव के फैज (लाभ) मिलता है।

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